LCI Learning

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(Guest)

Intelligent Marwadi


 

vaha vaah    vahaa vaaah



A Marwadi having no child, no money, no home, a blind mother, prays to God.
God happy with his prayers, grants him only ONE wish!
Marwadi: I want my mother to see my wife putting Diamond bangles on my
Child's hands in our new home!

God: Damn !!! I still have a lot to learn from these Marwadi's


Learning

 7 Replies

Raj Kumar Makkad (Adv P & H High Court Chandigarh)     27 September 2009

They all possess mind and after all mind wins.

Swami Sadashiva Brahmendra Sar (Nil)     28 September 2009

Good! it appears that web sites have borrowed their privacy policy from that marwadi ...!

Raj Kumar Makkad (Adv P & H High Court Chandigarh)     28 September 2009

u r rt.

Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     28 September 2009

minded.

Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     28 September 2009

minded marwari.

Shree. ( Advocate.)     28 September 2009

How come marwadi had no money?This is a real story some 400 years ago, beleive me no marwadi in india without money.

Swami Sadashiva Brahmendra Sar (Nil)     29 September 2009

 Dear shree,  I have also same impression. but, here is  extract from an Article of a marvadi author:

"आम तौर पर लोगों को यह भ्रम है कि मारवाड़ी समाज एक धनी-सम्पन्न समाज है, 

परन्तु सच्चाई इस भ्रम से कोसों दूर है। यह कहना तो संभव नहीं कि 

मारवाड़ी समाज में कितने प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, हाँ ! धनी 

वर्ग का प्रतिशत इतर समाज के अनुपात में नहीं के बराबर माना जा सकता है। 

उद्योग-व्यवसाय तो  सभी समाज में कम-अधिक है। प्रवासी राजस्थानी,  जिसे 

हम देश के अन्य भागों में मारवाड़ी कह कर सम्बोधित  करते हैं या जानते 

हैं, अधिकतर छोटे-छोटे दुकानदार या फिर दलाली के व्यापार से जुड़े हुए 

हैं, समाज के सौ में अस्सी प्रतिशत परिवार तो  नौकरी-पेशा से जुड़े हुए 

हैं, शेष बचे बीस प्रतिशत का आधा भा़ग ही संपन्न माना जा सकता है, बचे दस 

प्रतिशत भी मध्यम श्रेणी के ही माने जायेगें। कितने परिवार को  तो दो जून 

का खाना भी ठीक से नसीब नहीं होता, बच्चे किसी तरह से संस्थाओं के सहयोग 

से पढ़-लिख पाते हैं। कोलकाता के बड़ाबाजार का आंकलन करने से पता चलता है 

कि किस तरह एक छोटे से कमरे में पूरा परिवार अपना गुजर-बसर कर रहा है। 

इस समाज की एक खासियत यह है कि यह कर्मजीव समाज है, मांग के खाने की जगह 

कमा कर खाना ज्याद पसंद करता है, समाज के बीच साफ-सुथरा रहना अपना 

कर्तव्य समझता है, और कमाई का एक हिस्सा दान-पूण्य में खर्च करना अपना 

धर्म। शायद इसलिए भी हो सकता है इस समाज को धनी समाज माना जाता हो,  या 

फिर विड़ला-बांगड़ की छाप इस समाज पर लग चुकी होI"


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