125 crpc interim reply closed without reply by respondent
JASWANT VIJAY AGNIHOTRI
(Querist) 27 March 2019
This query is : Resolved
धारा 125 का जो केस 2017 से लगा है उस मामले में मैंने आज से 3 महीने पहले से 482 लगा रखा है सीआरपीसी राजस्थान हाई कोर्ट में जिसमें मैंने हाईकोर्ट में कहा है कि सेक्शन 24 हिंदू विवाह अधिनियम में पहले से ही वर्ष 2014 से महिला ₹5000 गुजारा भत्ता प्राप्त कर रही है और वर्ष 2017 में महिला द्वारा घरेलू हिंसा और बाद में 125 सीआरपीसी का केस किया गया है क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम अधिनियम के प्रावधान उपरोक्त दोनों घरेलू हिंसा और 125 सीआरपीसी से ऊपर है इसलिए वह केस दोनों चलने योग्य नहीं है अब इस मामले का फैसला आने वाला था तब तक मैं इसको खींचना चाहता था इसलिए मैं इसका जवाब नहीं दे रहा था आज मैंने तीन प्रार्थना पत्र लगाए थे जिससे जज गुस्सा हो गया वह तीन प्रार्थना पत्र निम्नलिखित है कि
1- सीआरपीसी 91 प्रार्थना पत्र महिला के तीन बैंक खाता है जिन की स्टेटमेंट मंगवाई गई है
2 - बच्चे से मिलने के लिए प्रार्थना पत्र दिया 125 सीआरपीसी जिस पर जज ने कहा कि बच्चे से मिलने का कोई प्रावधान 125 सीआरपीसी में नहीं है हालांकि मैं यह चीज पढ़कर गया था मैंने कहा कि सर आप मुझे एक बार तो मिलना करवा सकते हो विजिटेशन का तो प्रावधान है जिस पर जज ने कहा कि आप बाहर से लिखवा कर लाते हो और फालतू की एप्लीकेशन लगाते हो यह मैं अभी खारिज कर देता हूं और तुरंत खारिज कर दी
3- तीसरा प्रार्थना पत्र मैंने लगाया था कि प्रकरण अंतर्गत धारा 498 ए और 406 भारतीय दंड संहिता में अभी महिला के जिरह चल रही है अतः उस प्रकरण में महिला का साक्ष्य पूर्ण होने तक हमें जवाब प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जाए जिसे जज ने कहा कि मैं नहीं मानता और आपको हजार रुपे पर अंतिम अवसर दिया गया था पहले जो कि आपने नहीं दिया है इसलिए आप का अंतिम अवसर बंद करते हुए सीधे बहस अगली तारीख को 15 मई 2019 को होगा
इस अन्तरिम रेप्लाई को केसे पुनः खोला जाए ।
JASWANT VIJAY AGNIHOTRI
(Querist) 27 March 2019
वर्ष 2018 में मेरे द्वारा 125 में एक आपति प्रार्थना पत्र "समानान्तर कार्यवाही निषेध के संबंध में" लगाया था जो पारिवारिक न्यायालय द्वारा खारिज करते हुए निरस्त कर दिया था । घरेलू हिंसा केस अगस्त 2017 में 125 (अक्तूबर 2017) से 2 महीने पहले किया हैं महिला 2014 से सेक्शन 24 हिन्दू विवाह अधिनियम में गुजारा भत्ता प्राप्त कर रही हैं जो कि 122000/- दिसंबर 2018 में अदा किया हैं शेष राशि 250000/- बाकी थी आज दिनांक तक की हैं जिसको देने का समय मांगा था लेकिन जज ने तलाक का केस ही खारिज कर दिया आज ....
KISHAN DUTT KALASKAR
(Expert) 28 March 2019
Dear Sir/Madam,
If you do not agree with the procedure adopted by Magistrate then you can approach Higher Court and you will get justice..
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