Man finds it difficult to adjust to the ways
and habits of others. His mind is filled with
prejudice of caste, creed and color. He is quite
intolerant. He thinks that only his views,
opinions and ways of living are right,
and the views of others are incorrect.
दूसरों के अनुसार अपनी आदत और रास्ता बदलना
व्यक्ति को कठिन लगता है। उसका मस्तिष्क जाति,
धर्म, वर्ण भेद से भरा है। वह असहनशीलता से पूर्ण है।
वह सोचता है कि केवल उसके विचार, दृष्टिकोण और
जीवन जीने का तरीका ही सर्वश्रेष्ठ है
और दूसरों के विचार पूरी तरह गलत है।