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मेरा पति मारता है पीटता है घर में कैद मानसिक टॉर्चर करता है

Querist : Anonymous (Querist) 18 April 2020 This query is : Resolved 
मैं दिल्ली में रहती हूँ। मेरे दो बच्चे है मैं शादी 12 साल पहले लव मैरिज अपने घरवाले के मर्जी के खिलाफ की हूँ। मेरी माँ नहीं है पापा है वो अब अकेले रहते हैं मेरा कोई भाई नहीं है।
शादी जिससे की हूँ वो मुझे शादी से पहले तमाम सपने दिखाए। उस समय मैं फंस गई और हालत से लड़ते लड़ते 12 साल निकल गए। मुझे उस समय पता ही नहीं चला वो प्यार नहीं बस धोखा था।
धोखा इसलिए की मुझे पता ही नहीं था। मेरा पति सब कुछ छिपाया उसने मुझे अपनी योग्यता भी छिपाई वो पढ़ा लिखा भी बहुत ही कम है। उसने शादी से पहले अपना जाति जो बताया वो भी नहीं है। मैं पंडित हूँ (शर्मा) और वो SC कास्ट का है ये मुझे शादी के चार साल बाद पता चला। मैं जब भी छोड़ना चाहती वो मुझे इतना टॉर्चर कर देता की मैं कभी सोच भी नहीं पाई।
अब मुझे वो हमेशा मानसिक प्रताड़ना देता है। होली के दिन मुझे इतना मारा मैं कह नहीं सकती यहाँ तक की मेरे कान के परदे उस दिन फट गए उस दूसरे तीसरे दिन जब हॉस्पिटल गई तब मैंने वहां भी झूठ बोली की होली में बैलून से लग गया।
आये दिन अब वो मुझे पीटता रहता है और मुझे कहता है तुम बदचलन है। मुझे कभी अपने घर वाले के अलावा कभी किसी से बात तक नहीं करने दिया और समझाता रहा की पूरी दुनिया ख़राब है। मैं भी हमेशा उसके चंगुल में फंसती ही चली गई।
अब मुझे एहसास हो रहा है अपना भी अधिकार है जीने का अब मैं अपने बच्चों को सही शिक्षा देना चाहती हूँ। पर वो हमेशा मुझे दोष देता है और कहता है जो मेरी औकात है वही कर सकता हूँ पर वो भी नहीं करता है मैं एक पार्ट टाइम जॉब से करने लगी हूँ पर वो मुझे घर से निकलने से मना करता है। काम नहीं करने देता है।
वो मुझे कई बार हाथ पकड़ कर घर से बाहर भी कर देता है डराता है धमकाता है। मारता है पीटता है। वो काफी शराब भी पीता है और शारीरिक शोषण करता है। वो रोज मुझे अपने बिस्तर पर चाहता है जब मैं चाहती भी नहीं हूँ। मैं शरीर से टूट चुकी हूँ मेरी आत्मा तार तार हो चुकी है। मैं अब जीना चाहती हूँ। रोजाना के प्रताड़ना से टूट गई हूँ।

आजकल वो मेरी कभी कदर नहीं किया बस उसने मुझे रोका ही है। मैं खुलकर सांस लेना चाहती हूँ भले ही आधी रोटी खाऊं।
मेरा अब कोई गार्जियन भी नहीं है। मैं अकेली हूँ। आजकल मैं अपने घर वाले को भी नहीं बता पाई की ये लोग अलग जाति के हैं।

मैं आपसे अनुरोध करती हूँ आप मुझे रास्ता बताएं मैं क्या करूँ ? अब मेरे पास मेरे मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है। मैं जीना चाहती हूँ। अपने लिए अपने बच्चों के लिए।
KISHAN DUTT KALASKAR (Expert) 18 April 2020
Dear Madam,
If you are financially sound then fight legally by engaging a private advocate or you can get free legal aid advocate. You can file domestic violence case, 498A(cruelty) case and also maintenance case. Please contact the following:
===================================================

TOLL FREE TELEPHONE HELPLINE - Delhi State Legal Services
Authority provides solution to legal problems through 24×7 Telephone Helpline No. 1516.
Address:
Delhi State Legal Services Authority:
Central Office, Pre-Fab Building First Floor, Patiala House Courts, New Delhi – 110001.
Rajendra K Goyal (Expert) 18 April 2020
1. Call police whenever such event occurs.
2. Visit district woman cell for help.
3. Proceed through court for payment of maintenance for self and children and place to live separately.
Raj Kumar Makkad (Expert) 18 April 2020
1. Sabse pehle to pakka nishchye kar lo ki aapne apne pati ke virudh datkar ladkar apne hak lene hain aur vo aisa karne se rokega, dantega, shayad marega bhi lekin fir bhi aapne uske sath bina sthaee samadhan huwe manna nhi hai.

2. Agar aapne yeh nishchye kar liya ho to fir aapko sabse pehle apne ilake ki court me jakar judge saab se free legal aid provide karne ki sadharan application apni bhasha me likhkar deni hai jisme thoda vartant diya gya ho. Adalat aapko nishulk kanuni slahkar aur samast kharcha apne pas se degi.

3. Us kanooni slahkar ke dwara mahila cell me aapka prarthna patr bnakar aapke madhyam se diya jayega. jahan aapke pati ko bulakar aapke lgaye gye aropo ki chhanbeen ki jayegi aur aapki meetings kraee jayengi.

4. Fir FIR darj ho jayegi aur aapke pti ko giraftar kar liya jayega aur usko apni jmant rani hogi

5. aapko apne aur bachcho ke kharch, alag niwas ke liye kiraya aadi ki maang karte huwe ek mukadma dayar karna hoga vo bhi nishulk kanuni shayta ke antargat aur aapko ye sab kharch milega aur aapka pati aapke niwas ke najdeek bhi nhi aa payega. Agar vo nhi manega to police utha le jayegi.
Dr J C Vashista (Expert) 19 April 2020
Very well explained and advised by experts, I agree and appreciate their opinion and guidance.
Dr J C Vashista (Expert) 19 April 2020
It is better to consult and engage a local prudent lawyer for appreciation of facts, professional guidance and necessary proceeding.
However, if you can not afford to engage private lawyer you may approach Secretary of your District/ Delhi High Court Legal Services Authority.
Dr J C Vashista (Expert) 19 April 2020
If you feel so, may contact me (on appointment) at Chamber No 647, Lawyer's Chamber Block, Dwarka Courts Complex, Sector 10, Dwarka, New Delhi-110075 Phone: 9891152939 email: majjagdish@yahoo.com
Rajendra K Goyal (Expert) 19 April 2020
It is you and only you who has to gain courage to start any action. Law would help only after that.

If you once start, you would get justice, freedom from torture.
Raj Kumar Makkad (Expert) 19 April 2020
@ Expert J C Vashishtha ji! In one of your replies, you appreciate the replies of the experts and find nothing to add and soon thereafter advise the author to consult a local lawyer and against on third time, you persuade him to contact you at your chamber. What is this mockery?

If you are satisfied with the replies of the previous experts who replied prior to you then there is no need to ask the author to consult the local lawyer and if he has to consult local lawyer then the replies cannot be appreciated. Similarly if he has to consult wit local lawyer then why he should consult with you? What is hurdle before you to post your reply here necessitating to contact the author directly in your chamber?

Are you here just to increase your score by this or that way instead of posting your reply if the same is having more value than the posted by previous experts, which already stand appreciated by you?

This mockery is going on since a long time.
Guest (Expert) 19 April 2020
Obviously there would be No Reply from the concerned person to the Last Post of Senior Expert/ Senior Advocate Mr.Rajklumar Makkad Please.
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 20 April 2020
जो महिला इतने समय तक टार्चर सहती रहे उसको सलाह देने का कोइ फायदा नहीं होता |
Advocate Suneel Moudgil (Expert) 21 April 2020
"मैं जीना चाहती हूँ अपने लिए, अपने बच्चों के लिए" बहुत अच्छी बात है, देर से ही सही अक्ल तो आई,
सबसे पहले तो आप किसी लोकल वकील से संपर्क करें, यदि किसी वजह से वकील का खर्चा नहीं उठा सकती हो तो अपने जिला के विधिक सहायता केंद्र पर संपर्क करो, तुम्हें मुफ्त वकील कि सहायता मिल जाएगी,
अपने पति के खिलाफ शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना, मार पिटाई, खर्चा, बाबत केस डालो और अपने पति से अपना व बच्चों का खर्चा व रहने कि व्यवस्था करवाओ,

अगर चाहो तो तलाक का मुकद्दमा भी डाल सकती हो लेकिन जो भी वकील करोगी उसे सारी बात बताकर उसके कहे अनुसार कारवाई करना

Rajendra K Goyal (Expert) 22 April 2020
Law is strict for domestic violence cases, discuss with lawyer and lodge complaint. In case of need, may call Women help line.
Archit Uniyal (Expert) 22 April 2020
यह वास्तव में दुखद और दर्दनाक है कि आप किन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं और गुजर रहे हैं

मानसिक अत्याचार तलाक के लिए एक वैध आधार है और IPC की धारा 498 आपकी ढाल है। भारत में मानसिक उत्पीड़न कानून आपको किसी भी प्रकार की क्रूरता से बचाता है और आप इसके तहत वकीलों और अधिवक्ताओं की मदद लेने के लिए हमेशा मामला दर्ज कर सकते हैं।

भारतीय कानून में कोई भी ऐसा वर्ग नहीं है जो मानसिक पीड़ा के बारे में बात करता है लेकिन ऐसे प्रावधान और मामले हैं जो मदद कर सकते हैं। भले ही धारा 498 ए वैवाहिक विवादों के बारे में बात करती है, लेकिन जब यह मानसिक क्रूरता की बात आती है तो यह एक कवच का काम करता है।

इसलिए मानसिक क्रूरता हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक के लिए दायर करने के लिए एक वैध आधार है। पति को आईपीसी की धारा 498 ए के तहत 3 साल की सजा भी होगी।

भले ही हिंदू विवाह अधिनियम में कोई धारा नहीं है जो मानसिक क्रूरता का अर्थ और गुंजाइश बताता है, एक मामला साम घोष बनाम जया घोष का है जिसने मानसिक क्रूरता के लिए दिशानिर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि मानसिक क्रूरता एक मन: स्थिति है। तीव्र मानसिक पीड़ा, पीड़ा होनी चाहिए। गहरी पीड़ा, निराशा, हताशा, अपमानजनक व्यवहार की यातना की गणना, पति के आचरण के कारण पत्नी में एक निरंतर अवधि के लिए अनुचित व्यवहार, मानसिक क्रूरता हो सकती है।

मैं आशान्वित हूं कि इससे आपको सहायता मिलेगी।

सादर,
अर्चित

Raj Kumar Makkad (Expert) 23 April 2020
यदि आपकी बहन जी का अपने घर उर अपने पति से संबंध जारी रहता हैं तो गुजारा खर्चा मांगने का हक ही उपयोग मे लाना सही राय है अन्यथा जेल मे पति या उसके किसी रिश्तेदार को भिजवाने का अर्थ अनर्थ मे बदल जाता है। खर्चे तक सीमित रहिए .
Rajendra K Goyal (Expert) 24 April 2020
Your sister is being tortured continuously, she should complaint for domestic violence with case for demanding maintenance, residence should be initiated.
Raj Kumar Makkad (Expert) 24 April 2020
प्रश्नकर्ता नहीं, उसकी बहन पीड़ित है। श्री गोयल जी से इस टिप्पणि का संबंध है।
Rajendra K Goyal (Expert) 25 April 2020
sorry, the mistake is rectified.


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