धन्यवाद सर्वेश बाबू ! ओइसे हम कौनो चीज क बुरा नाही मानित । इहे बुरा माने वाले बात पे किरण बाबू से भी एक दिन कुछ निजी बतकही भइल रहल , उनहू से हम इहे कहली की बाबूजी , एह दुनिया में सगरो लफडा के जड़ इहे बुरा माने वाली आदत हवे । उनहू कौनो बात क बुरा नाहीं मनले , बहुत नीक आदमी हउवन भइया।
आ, भैयाजी एक बात और बता देई - इ हमार हिन्दी वाला मुंशियाना सलाह बहुत लोग पसंद करत बाटें बकी केहू खुल के नाही बोलत बा। एकाएक अंग्रेजी छोडके हिन्दी में नाही उतर पावत बाटें लोगन। ओही तरह से भैयाजी हमहू एकाएक भोजपुरी/अवधी छोडके खड़ी बोली तक नाही चढ़ पावत बाटी । कुछु समझौता कीन जाय त बाकी लोग भी इंगरेजी से हिन्दुस्तानी यानि की हिन्दी खड़ी बोली में बतियावे और हमहू कुछ मेहनत कई के भोजपुरी- अवधी में सुधार कई के खड़ी बोली में बतियावे के सीख लेई। वैसे बाबूजी आपण देस क माटी, आपण देस क बोली क कौनो जवाब नाही। बाकिर का कैल जा , एह फोरम क सभे जनि समझत बाटे की अंगरेजी में बतियैहे त कुल बहुराष्ट्रीय कम्पनी क मुकदमा उनही के मिल जाई ।
बाबूजी, बुरा न मानल जाई बहुत पुरान मुंशी हई हम, मुकदमा पावे खातिर कम्पुटर रूम से बहरे निकरके देस- दुनिया -समाज में बैठकी लगावे के परी कम्पुटर इंटरनेट से मुकदमा नाही मिली।