नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी कि विभिन्न कानूनों के तहत मुसलमान द्वारा रजिस्ट्रेशन के बिना स्थाई संपत्ति को उपहार में देना पूरी तरह वैध है। इसके साथ ही जस्टिस आर. एम. लोढा और एसएस निज्जर ने आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश को खारिज कर दिया। इसके तहत शेख दाउद द्वारा अपने पुत्र मोहम्मद याकूब को लिखित में 5 फरवरी 1968 को उपहार में स्थाई संपत्ति देने को अवैध बताया गया था।
शेख के दूसरे पुत्र शेख फरीद ने अपने पिता के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी कि पिता द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं है। निचली अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। बाद में हाईकोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला दिया कि दी गई संपत्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं है इसलिए यह दान वैध है। मुस्लिमों के लिए ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट या स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत उपहार की संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की बाध्यता लागू नहीं होती।