नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि ऐसी महिला को कोर्ट में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जो गर्भावस्था के अंतिम दौर में हो। अतिरिक्त सेशन जज आरके गौबा ने दहेज प्रताड़ना के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर नाराजगी जताई। निचली अदालत ने छह माह की गर्भवती महिला को निजी हाजिरी से छूट देने से इनकार किया था। साथ ही उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ था।
जज ने महिला के वकील के सामने निचली अदालत द्वारा रखी गई शर्त पर भी आपत्ति जताई। इस शर्त के तहत उसे या तो आरोप स्वीकारने या कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया था। जज ने कहा कि कानून ऐसी शर्त रखने की अनुमति नहीं देता। आरोपी को शारीरिक मजबूरी जैसे वाजिब कारणों से उपस्थिति में छूट रहती है। जज ने मीनाक्षी (25) को राहत देते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। मीनाक्षी ने इस आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी।