एक बार पंडित जी और कविराज बातें कर रहे थे। पंडित जी – अरे यार पता है एक बार मैं जब घनघोर जंगल से जा रहा था तो मुझे डाकुओं ने घेर लिया और मेरी घडी़, चेन, बटुआ सब लूट लिया। कविराज – लेकिन आपके पास पिस्तौल भी तो थी। पंडित जी – हाँ लेकिन शुक्र है उस पर उनकी नजर नहीं पड़ी।
कविराज – अब मेरी सुनो, एक बार मुझे भी रामगढ़ गाँव में डाकुओं ने घेर लिया। डाकुओं का सरदार गब्बर सिंह बोला – यहाँ से ५ मील…, जो कुछ है हमारे हवाले कर दो। कविराज – तुम मुझे जानते नहीं। गब्बर सिंह – कौन हो तुम। कविराज – यहाँ से १० मील दूर किसी गाँव में जब भी कोई बच्चा रोता है तो माँ कहती है बेटा सो जा, सो जा नहीं तो कविराज आ जाएगा। अब तुम यहाँ से खिसकते हो या कविता सुनानी शुरु करुँ…
कहते हैं डाकू गब्बर सिंह दुबारा रामगढ़ में नहीं दिखाई दिया।