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Do you know how to LAUGH others? Post jokes !

Page no : 3

Dipangkar (Business)     12 June 2011

When gabbar singh was born, his mother gave him a tight slap. Why?

He asked "Kitne Admi The?



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Dipangkar (Business)     12 June 2011

A psychiatrist was conducting a group therapy session with four young mothers and their small children. "You all have obsessions," he observed.

To the first mother he said, "You are obsessed with eating. You even named your daughter Candy."

He turned to the second mom. "Your obsession is money. Again, it manifests itself in your child's name, Penny."

He turned to the third mom. "Your obsession is alcohol and your child's name is Brandy."

At this point, the fourth mother got up, pulled her little boy by the hand and whispered, "Come on, Dick, let's go home."

Dipangkar (Business)     13 June 2011

A bribe for a professor

 


A professor was giving a big test one day to his students.

He handed out all of the tests and went back to his desk to wait.

Once the test was over, the students all handed the tests back in.

The professor noticed that one of the students had attached a Rs.500/- bill to his test with a note saying

"Rs.10\- per point."

In the next class the professor handed the tests back out.

The student failed while scoring only 15 points.

This student got back his test papers with Rs.350/- pinned up , with a note saying a charge of Rs.150/-

Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     03 July 2011

खर्राटे

 

 

खर्राटे

तुलसी या संसार में कर लीजै दो काम-
छक के भोजन कीजिए, मुंह ढक कै आराम !
मुंह ढक कैं आराम, द्वार पर यह लिख दीजै-
सोय रह्‌यौ हूं अभी मोय दरसन मत दीजै।
जागे सो पावै नहीं, सोवै सो सुख पाय।
जननी ऐसौ पूत जन, परते ही खर्राय।
सुनो ब्रजनागरी !

खर्राटे ऐसे मुखर, पारंपरिक अकूत,
आंगन में बैठी मनौ मल्लो कातै सूत।
मल्लो कातै सूत, मुटल्लो मठा बिलोवै,
कै बिल्लो ते झगर, टीन पै बिल्ला रोवै।
कैधों ग्रामोफोन कौ तयौ भयौ बेकार,
कै चौबे की नाक हू लैबे लगी डकार।
सखा सुन श्याम के !

खर्राटे ये है नहीं, ये हैं अनहद नाद,
घट के भीतर चलि रह्‌यौ, जीव-ब्रह्म-संवाद।
जीव-ब्रह्म-संवाद 'सबद' परि रहे सुनाई,
कहां गए गुरुदेव अर्थ बूझयौ नहिं जाई।
किधौं नाक ते बहि रही 'कविता नई' अचूक,
दाग समालोचक रहे सोय- सोय बंदूक ।
सुनो ब्रजनागरी !

 

 

खर्राटे क्यों कहत हौ, कहौ षड़ज-संधान,
खैंच रहे बुंदू मियां नौ-नौ गज की तान।
नौ-नौ गज की तान कि जैसे करैं गरारे,
अटक कंठ में गए तेल के सक्करपारे।
कै काहू की भैंसिया पोखर में गर्राय,
कै काहू की भौंटिया चाकी रही चलाय।
सखा सुन श्याम के !

खर्राटे खर-खर करैं, खटिया चर-चर होय,
सुनि छोरी चीखन लगी, छोरा दीनौ रोय।
छोरा दीनौ रोय, बैल खूंटा ते भाजौ,
कुत्ता सोचन लग्यौ, बजौ यह कैसौ बाजौ ?
मूसे बिल में घुसि गए, मौसी खाय पछार,
घरवारी ठोकै करम, भले मिले भरतार !
सुनो ब्रजनागरी ।

बालम परे पलंग पै चारौं कौने चित्त !
गोरी बत्ती जोरिकै बांचै व्यास-कवित्त !
बांचै व्यास-कवित्त कि लंबी लैय उसांसैं,
नाई-बामन मरौ, बांधि दीनी भैंसा सैं।
दिन-भर सानी सी चरै, रात परौ खर्राय,
झकझोरूं तो हे सखी, 'मरौ ! मरौ !!' चिल्लाय।
सखा सुन श्याम के !

Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     03 July 2011

क्या आप सभ्य जगत के किसी ऐसे एक शब्द को बता सकते हैं, जो नाक काटकर दुशाले से पोंछ लेता हो ?
क्या मतलब ?
मतलब यह कि ऐसा शब्द जो मारता तो हो, लेकिन रोने नहीं देता !
अजीब प्रश्न है। जरा खोलकर समझाइए।
ऐसा शब्द जो शरीफानी गली के बाद ही इस्तेमाल में लाया जाता है। यानी जो सब कुछ कहकर भी लीपा-पोती कर देता है।
माफ़ कीजिए, हम अभी भी नहीं समझे ।
तो फिर समझ लीजिए, वह शब्द 'माफ़ कीजिए' ही है।
वह कैसे ?
इस तरह, हम आपसे कहें-आप निरे बुद्धू हैं। इतनी छोटी-सी बात भी आप नहीं समझ सकते तो आप में और वैशाख के नंदन में फिर क्या फ़र्क है ?
और इससे पहले की आपकी आंखें लाल हो जाएं और मुठ्ठियां बंधने लगे और आप अकर्मक विचार से सकर्मक क्रिया पर उतारू हों, हम फौरन पैंतरा बदलकर कहें- 'माफ़ कीजिए', हमारा मकसद आपका अपमान करना या दिल दुखाना नहीं है। हम तो दोस्ताना तरीके से आपसे कह रहे हैं कि आप जैसे बुद्धिमान की समझ में इतनी मोटी बात तो आसानी से आ ही जानी चाहिए थी!
जी !
तो 'माफ़ कीजिए' शब्द वह लाल झंडी है, जो तेजी से एक तरफ दौड़ते हुए विचारों पर फौरन ब्रेक लगा देती है और बड़ी-से-बड़ी दुर्घटनाओं को तत्काल रोक देती है।
जी, यह कि निन्यानबे गाली एक तरफ और हल्का-सा 'माफ़ कीजिए' एक तरफ ! 'माफ़ कीजिए' भी एक प्रकार की गाली है। ऐसी गाली, जो लगकर भी नहीं लगती। बल्कि शेष गालियों के बाहरी प्रभाव को रोकने में रामबाण की तरह काम करती है।
जी !
'माफ़ कीजिए' गाली ही नहीं, ढाल भी है। आप सरेआम किसी की पगड़ी उछाल दीजिए और उसके बाद दबी जुबान से 'माफ़ कीजिए' कह दीजिए, साफ बच जाएंगे। राह चलते किसी को धक्का देकर गिरा दीजिए और उठने के पहले ही उसका हाथ पकड़कर 'माफ़ कीजिए' कह दीजिए, आपका बाल भी बांका न होगा। आप कर भी क्या सकते हैं ? अगर कोई आपका कलम उठाकर लिखने लगे और आपका पॉइंट बिगाड़ दे, आपका एलबम देखने लगे और अपनी अंगुलियों के निशान भी उन पर छोड़ जाए, आपकी पुस्तक ले जाए और न लौटाए और आपके कुछ कहने से पहले ही 'माफ़ कीजिए' का तीर चला दे तो आपके पास घायल होने के अलावा और चारा भी क्या है।
जी !
जी, आप शरीफ आदमी हैं और माफ़ कीजिए कहने वाले आपकी इस कमज़ोरी को जानते हैं। इसलिए वे आपको धकेलते हुए और 'माफ़ कीजिए' कहते हुए बस में चढ़ जाते है। रेल में आपकी सीट पर 'माफ़ कीजिए' कहते हुए जम जाते हैं।
जी !
इसलिए हम आपको सलाह देते हैं कि आज की दुनिया में सभ्य बनकर रहना है तो आज से ही 'माफ़ कीजिए' शब्द को गांठ में बांध लीजिए और संकट के समय अमोघ मंत्र की तरह इसका जाप कीजिए और देखिए फिर कोई मुसीबत, ताप और संताप आपको कैसे व्याप पाते हें।
जी !
 


(Guest)

Santa goes to a library and asks for a book "psyco-the-rapist".

Librarian searches for 6 hours and comes back slaps him and says "Idiot, the book is called Psychotherapist"

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Shantilal Pandya ( Advocate)     20 February 2012

A man was prosecuted for  bigamy under se .494 of IPC, the  defence lawyer  argued nicely 

on the day of judgement  the accused  was   called to  hear the verdict  .he approached  and  stood in the  cage  before the magistrate , the  court  told him that he  was  acquitted and now  he  can  go home , the  acused  was  confused  and  did not move , the  court  again  asked "  why  you are not  going home?

the  acceused  aked  the  court "at whos home  I  should  go,   1st or  2nd  wife ?"

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Shantilal Pandya ( Advocate)     25 February 2012

After delievery of judgment a lawyer  wrote  to his  client ,"congrates !  finally  the  truth  has won the battle "

The  client replied  "  file an appeal "!

V R SHROFF (Sr. ADVOCATE Bombay High Court Mob: 9892432152)     14 November 2012

Happy new year, I enjoyed jokes today

Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     26 September 2013

santa- "spell" sadak par goliyan chal rahi h! banta- the tablets are walking on the road! haha

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