म.प्र. के ऐक निगम कर्मचारी का केस , यै कर्मचारी थर्ड पार्टी से लिया गया था, 14 साल से.ही निगम का कर्मचारी नही है ।
1. दिनांक 24.11.20 को पार्टी A ने अपनी बुकिंग के Rs.20000 कर्मचारी को नगद भुगतान किये । उसने यह रकम अपनी जेब मे रख लिये और युनिट की किताबों मे उधारी लेना बताई ।
2 दिनांक 6.12.20 को पार्टी B नेंं भी अपनी बुकिंग के Rs.20500 कर्मचारी. को नगद भुगतान किये । उसने ये रकम भी अपनी जेब मे रख लिये और निगम की किताबों मे उधारी लेना बताई ।
3. दिनांक 30.3.21 को पार्टी C ने की बुकिंग के रू.40000 कार्ड स्वाईप कर निगम को पेमेंट की ।
4. कर्मचारी ने 30.3.21 को 4 महिने बाद पार्टी C द्वारा कार्ड से दिये गये Rs.40000 पार्टी A & B की उधारी निपटान RS.20000+RS.20500=RS.40500 अपने निजी कार्ड से रू.500 के अंतर भुगतान कर समायोजित कर दिये ।
निगम के रिकार्ड मुताबिक बाकी रकम Rs.40000 के लिये पार्टी C से बात करने पर मालूम हुआ कि वह कार्ड से उसी दिन भुगतान कर चुका है ।
निगम के रिकार्ड Rs.40000 की लेनदारी शेष है ।
प्रश्न : -
1. रकम की वसूली कैसे हो ?
2. किन धाराओं.में केस दाखिल हो ?
3. पुलिस को सूचना का प्रारूप कैसा हो ?