Dear Experts
मेरी सगाई फरबरी में और शादी अप्रैल में हुई और शादी के बाद एक दिन एक फ़ोन आता है वो मेरी पत्नी से बात करनी है मेने पूछा कौन बोल रहा है तो उसने जवाब दिया में उसका रिश्तेदार बोल रहा हू; मेने फ़ोन अपनी पत्नी को दिया और ग्राउंड फ्लोर पर आ गया फिर थोड़ी देर बाद जब फ़ोन लेने गया तो वो घबरा गई और फ़ोन काट दिया मेने पूछा कौन था तो वो बोली ये मेरी पर्सनल बात है और उसने अपने फादर को बुला लिया जब अगले दिन उसके फादर और उसका भाई आया तो मेने फिर पूछा कौन था जिसका फ़ोन आया तो उसके फादर ने बोला की वो मेरा दोस्त था अब हमारी लड़ाई हो रखी है रुपए को लेकर लड़ाई है और परेसान कर रहा है हम वह जा कर उसकी शिकायत करेंगे और लड़की को ले कर चले गए फिर मै उसको जून के लास्ट वीक मै लेने गया और ले कर अपने घर पर आगया फिर जुलाई फर्स्ट वीक मे उसी का फ़ोन आया और कहा की बात करनी है तो मेने मना कर दिया और अपनी पत्नी से पूछा तो उसने बोला की क्यों बताऊ ये मेरा पर्सनल मामला है फिर दो दिन बाद उसके फादर आये और उसको ले जाने लगे हम ने पूछा कोई शिकायत की है तो उसकी कॉपी दे दो मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा और लड़की को जेवेल्लारी के साथ ले गए फिर हमने पता किया की कौन है फिर हम्हे पता चला की मेरी पत्नी ने उस पर सेक्शन 376 , 440 मे मुकदमा फाइल कर रखा है और हमारे खिलाफ कह रखा है की मेरे ससुराल वालो को पता चला और उन्होंने मुझे छोड़ दिया (164 के बयान मे) फिर हमने पुलिस मे शिकायत की मगर पुलिस ने कुछ भी नहीं करा फिर सेक्शन 12 (1) c मे शादी रद्द करने के लिए मुकदमा दर्ज़ कर दिया हमारा नोटिस मिलने के बाद उसने मेरे और मेरे पुरे परिवार पर 498A , 323 और 406 शिकायत कर दी 156 (3) में. पुलिस ने हम्हे बुलाया हम गए मगर पुलिस ने रिपोर्ट में लिखा की हम मेरे फादर और मदर नहीं आये हमे पता चला जब हमने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करा इसलिए कोर्ट ने हम्हे जमानत नहीं दी और हमने पुलिस को सबूत दिखाए मगर उन्होंने कुछ नहीं माना और हमें कहा की मरती काया नहीं करती उसकी वहा से भी गयी और यहाँ से भी तुमने तलाक का केस डाला तो उसने दहेज का डाल दिया ( I O ने कही ये बात) पुलिस भी हमरी नहीं सुन रही है न ही सबूत मान रही है; हमने हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन कर रखा है! मेरे पास जो बात IO ने और मेरी पत्नी ने और मेरी पत्नी के फादर ने बोली है वो रिकॉर्डिंग है
Please suggest me what should I do.
धन्यवाद