1956 में मेरे नाना जी ने अपने भाई व जीजा के साथ दुकान का एक प्लाट राज्य सरकार से 33 साल के लिए लीज पर लिया|
नाना भाई का देहांत 1973 में, जीजा का 2008 व नाना जी का स्वर्गवास 2010 में हुआ|
मेरी नानी व नाना के भाई के वारिसों में संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है| इसी दौरान कागजों की पड़ताल और खोजबीन करते हुए यह ज्ञात हुआ कि दुकान जो तीनो के नाम साझे में थी उसको नाना के भाई और जीजा के बेटों ने अपने नाम से आधा-आधा फ्रीहोल्ड करा लिया है, 2002-2003 के दरमियान|
उक्त फ्री होल्ड की कार्रवाई में उन्होंने फर्जी एवं कूटरचित बंटवारानामा व सहमतिपत्र का सहयोग लिया है, जिनमें मेरे नाना के फर्जी हस्ताक्षर हैं| उक्त दोनों आलेखों में 25 वर्ष का अंतराल है व दोनों में गवाह वही हैं|
इस विषय में मुझे क्या कार्रवाई करनी चाहिए जिससे कि मैं फ्री मोड को कैंसिल करा सकूं एवं एक चौथाई दुकान पर अपनी नानी अपने परिवार को कब्जा दिला सकूँ|
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