It is only by developing both pure reason
and pure feeling that you can reach God and
truth. By an interchange of these qualities,
man and woman can help to balance in each
other pure reason and pure feeling, thus
helping each other toward union with God.
(Sri Paramahansa Yogananda)
मात्र शुद्ध तर्क और अनुभव को विकसित करके ही तुम
सत्य और ईश्वर तक पहुँच सकते हो| इन गुणों के
आदान-प्रदान से नर और नारी शुद्ध तर्क और भावना का
संतुलन बनाए रख सकते हैं| इस प्रकार आपस में एक दूसरे
की सहायता करते हुए ईश्वर के साथ तादात्म्य रख सकते हैं|
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Serve all creatures of God. The service of servants of God is His real worship.
If you can not speak well of someone rather do not say anything.
दीन-दुखियों की सेवा करो। भगवान के सेवकों की सेवा ही भगवान की सच्ची भक्ति है।
यदि आप किसी के लिए अच्छा नही कह सकते तो कुछ न कहना बेहतर है।