Following is reproduction of my blog " Nihatthe ka bal" from https://prachetansamiti.blogspot.com . Friends having an instinct to create a fearless society are invited with a request to cooperate and spread the messages :-
जिस चीज को हम अपनी कमजोरी समझते हैं वही हमारी सबसे बड़ी ताकत है । हमारे पास जो चीज नहीं है उसे खोने का भय भी नहीं है और निर्भय होना सबसे बड़ी शक्ति है। युद्ध भी वही प्रारम्भ करते हैं जिन्हें भय होता है। जो निर्भय है वह पहले से ही विजयी है।
जिसके पास बन्दूक है वह अधिक भयभीत है। उसे बन्दूक छिनने का भय है, अनुचित रूप से गोली चल जाने का भय है, बन्दूक जब्त होने का भय है, अभियोजन का भय है इत्यादि इत्यादि.... । विचार करें और महसूस करें, क्या उसे भी इतने भय हैं जिसके पास बन्दूक नहीं है ? यह बात धन तथा अन्य साधनों के बारे भी लागू होती है।
भय ही मृत्यु है। निर्भय होना ही अमरत्व है। जिसे मृत्यु से भय नहीं, वह अमर है। संसाधनों को हथियाने की होड़ लगाने से पहले अपने अमरत्व को पहचानो। तुम अपने अमरत्व को पहचान लोगे तो संसाधन तुम्हारी गुलामी करेंगे, अन्यथा तुम संसाधनों के गुलाम बने रहोगे। साधनसम्पन्न होकर भयग्रस्त रहने से साधनहीन रहकर निर्भय रहना श्रेष्ठतर है। कुछ हासिल करना है तो पहले अभय को हासिल करो; दमन करना है तो पहले अपने भय का दमन करो।शासन करना है तो पहले अपनी छुद्र इच्छाओं और दुष्प्रवृत्तियों को शासित करो।
अतएव, साधन हीनों ! स्वयं को निर्बल व निर्धन समझने वालों ! अपनी निर्भयता की शक्ति को पहचानो, योग अर्थात ऐक्यता की शक्ति को पहचानो और एकजुट हो जाओ । आत्मानुसाशित व्यक्ति को किसी अन्य से नियंत्रित होने की आवश्यकता नहीं । चन्द भयग्रस्त लोगों से भयभीत होना तुम्हारा भ्रम है। वास्तव में तुम पहले से ही विजयी हो । जिन्हें तुम शासक समझते हो वे तुम्हारे सेवक हैं। जिन्हें तुम शक्तिशाली व साधन संपन्न समझते हो उनमें से अधिकाँश पहले से ही मरे हुए हैं और जो जीवित हैं वह तुम्हारे ही हितैषी हैं।