किसी आपराधिक प्रकरण में मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेना या कॉग्निजेंस लेना क्या होता है मजिस्ट्रेट ऐसा कौन सा आदेश करते हैं जहां से यह माना जाए कि कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है? किसी मारपीट के मामले में अंतर्गत धारा 323 341 और 34 भारतीय दंड संहिता में मजिस्ट्रेट का कहना है कि कोरट संज्ञान ले चुका है लेकिन फाइल में ना तो आरोप तय हुए हैं और ना ही अन्य कोई आदेश है संज्ञान लेने की प्रक्रिया क्या है
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