How can save lives?

Querist :
Anonymous
(Querist) 20 January 2010
This query is : Resolved
एक महिला का पति एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है,उसके साथ तीन कर्मी और काम करते है,कम्पनी का एक मैनेजर अचानक उस ब्रान्च में चैकिन्ग के नाम पर आता है जिसे दो दिन पहले नियुक्त किया जाता है,वह सभी कर्मचारियों को कीमती सामान रखने की जगह से निकाल देता है और चैकिन्ग करने के बाद चला जाता है,उसके दूसरे दिन उस ब्रान्च का मैनेजर भी अपनी छुट्टी पर चला जाता है,जब वह छुट्टी से वापस आता है तो कम्पनी की चेस्ट से बहुमूल्य सामान कुछ संख्या में गायब मिलता है,वह ब्रान्च मैनेजर कम्पनी के बडे अधिकारी को सूचित करता है,बडा अधिकारी ब्रान्च में आकर सामान को चैक करता है और पुलिस स्टेशन में जो भी कर्मचारी काम करने वाले है सभी के नाम चोरी की एफ़ आइ आर रजिस्टर्ड करवा देता है,पुलिस सभी कर्मचारियों को गिरफ़्तार कर लेती है और अपने अनुसार तरह तरह के पुलिस वाले हथकंडो से उन कर्मचारियों से पूंछताछ करती है,उन्हे हवालात में जब तापमान उस शहर का दो डिग्री होता है तो बिना कपडों के हवालात में रखती है,तबियत बिगडने पर उन्हे घर भेजती है और दूसरे दिन फ़िर बुलाती है,जो शारीरिक रूप से बलवान होते है वे तो चले जाते है और जो कमजोर है उनमे से एक नही जाता है और वकील से मिलकर अपनी अग्रिम जमानत करवाने के चक्कर में रुक जाता है,इधर थाने वाले उसके घर पकडने के लिये पहुंचते है और घर पर वह व्यक्ति पुलिस के डर से नही मिलता है तो उस शहर के सभी अखबारों में खबर छप जाती है कि अमुक व्यक्ति चोरी के मामले में फ़रार है,डर से वह फ़िर थाने में जा पहुंचता है,और पुलिस उसे लगातार तीसरी डिग्री की सजा में रखती है,उसका अपराध इतना है कि वह पुलिस के डर की बजह से अपने बचाव के लिये अदालत का सहारा लेने गया था लेकिन अदालत का सहारा तो मिला नही,पुलिस की अत्यन्त दर्दनाक सजा मिलने लगी। जो भी लोग नौकरी करने वाले थे सभी की गृहस्थियां बिना भोजन पानी के और दूसरे शहर में रहने के कारण किराये के लिये तरसने लगीं,बच्चे जो स्कूलों में जा रहे थे बिना फ़ीस दिये घर पर बैठ गये,उनके माता पिता सम्बन्धित भाई बहिन सभी भूखों मरने की कगार पर जाकर खडे हो गये,वकीलों के खर्चे के लिये पैतृक समपत्ति को बेचा जाने लगा,और एक दिन आया तो सभी सडक पर जाकर खडे हो गये,जिस कम्पनी में वे काम करते है उस कम्पनी ने कुछ साल पहले यही किस्सा अपनी दूसरी ब्रांच में एक कर्मचारी के साथ पहले भी किया हुआ है,किसी मूल्यवान सामान को गायब करवा दिया गया,और जांच के नाम पर पुलिस को रिपोर्ट करवाकर उसे बुरी तरह से पिटवाया गया,उसकी बीबी बच्चे सभी बरबाद हो गये,उसकी गांव और शहर की सम्पत्ति बेच कर उसे पुलिस और वकीलों का खर्चा पूरा करना पडा,और आज वह दर दर का भिखारी हो कर घूम रहा है उसके पीछे पलने वाला परिवार दूसरों के घर पर भी काम नही कर पा रहे है,क्योंकि अदालत में उनके सम्बन्धी का चोरी में नाम है और कहीं वे भी चोरी ना कर लें इसलिये उनको काम भी नही मिल रहा है.यह वाकया बिलकुल सत्य है,और इस वाकया को जानकर क्या आप के मन में यह आता है कि कानून व्यवस्था भूतकाल में ब्रिटिस जमाने की व्यवस्था से भी बदतर हो गयी है,ला आफ़ नेचर क्या कहता है? फ़िर कानून क्या कहता है?

Querist :
Anonymous
(Querist) 20 January 2010
Everything on behalf of God.
Raj Kumar Makkad
(Expert) 20 January 2010
Kanoon bebas aur andha, behra aur bejuban hai. Hum sab aise hi sadiyon se jhel rhe hain. Raja akbar ho, angrej hon ya ye kale swadeshi sabhi ek hi thali ke baingan hain. Isliye niyati manne ke alawa koi chara nahi hai mere bhayee.
Arvind Singh Chauhan
(Expert) 21 January 2010
Sir it is true that it is very tough to overcome from such situation. But if the matter is still in investigation stage why the help of amnesty international and human rights commission should not be taken for fair investigation. At least correspondence may be with such institutions.