जब भी मैके जाती बीबी
अपनी याद कराती बीबी
सबकी किस्मत अलग अलग है
सबको ना मिल पाती बीबी.
नाचें गायें सब बाराती
तब घर में है आती बीबी
होगे राजा तुम जंगल के
सबको डांट लगाती बीबी.
यूँ ही डरने वालों से तो
खाना भी बनवाती बीबी
किस्मत फूटी निकली गर तो
बरतन भी मंजवाती बीबी.
इधर उधर जो नजर फिरे गर
आँखें है दिखलाती बीबी.
साड़ी जेवर ला कर दे दो
प्यार बहुत जताती बीबी.
सुबह सुबह परनाम (प्रणाम) करो जो
दिन भर है मुस्काती बीबी.
सुन्दर कितनी दिखती हो तुम
सुन कर के शरमाती बीबी.
कितना भी मैं लिख दूँ गाथा
हमको अपनी भाती बीबी.
-समीर लाल 'समीर'