नई दिल्ली. प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसमें आयकर छूट सीमा को 1.6 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है। 2 से 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख रुपये की कमाई पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा।
कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी रखी गई है।
आय, पीएफ, पेंशन, लोन में क्या फायदा
पीएफ : राहत मिलेगी
पहले जीपीएफ, पीपीएफ और अन्य मान्यता प्राप्त प्रोविडेंट फंड्स में निकासी के वक्त कर लगाने का मूल प्रस्ताव में विचार करने वाली सरकार ने ताजा प्रस्ताव में इसे तीनों स्तर (निवेश, संचयीकरण और निकासी) पर कर राहत देने का फैसला किया गया है। यानी इन योजनाओं में निवेश की गई रकम, इस पर कमाया गया ब्याज और ब्याज सहित निकासी गई पूरी रकम आय कर से मुक्त रहेगी।
पेंशन: टैक्स नहीं
आंतरिक नियामक पीएफआरडीए के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों (जो जनवरी 2004 से नौकरी में लगे हों) की पेंशन भी पूरी तरह से करमुक्त होगी। पेंशन को अब तक वेतन मानकर आयकर लगाया जाता है।
हाउसिंग लोन पर छूट जारी
नए मसौदे में हाउसिंग लोन पर टैक्स छूट जारी रहेगी। होमलोन के ब्याज के भुगतान पर 1.5 लाख की छूट जारी रहेगी। पुराना मसौदा इस मसले पर खामोश था। इनमें से एक अहम बदलाव है यूलिप के रिटर्न पर टैक्स लगाने का। गौर करने वाली बात ये है कि नए बिल में टैक्स रेट और स्लैप सांकेतिक हो होगा और इस पर फैसला संसद में होगा।
मेरी कमाई पर कितना फायदा
आयकर प्रैक्टिशनर केके दयाल के मुताबिक डायरेक्ट टैक्स कोड से पांच लाख सालाना कमाने वाले लोगों को चार हजार का वार्षिक फायदा मिलेगा। महिलाओं और सीनियर सिटीजन को एक हजार रुपए का अतिरिक्तलाभ होगा। जिनकी आमदनी 10 लाख वार्षिक है, उन्हें 24 हजार रुपए का तत्काल फायदा होगा। ऐसी श्रेणी के सीनियर सिटीजन और महिलाओं को कुल मिलाकर 49 हजार रुपए का लाभ होने की संभावना है।
सोमवार को संसद में आएगा विधेयक
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में डीटीसी विधेयक के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। सूत्रों के मुताबिक, इस विधेयक को सोमवार को संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने अगस्त 2009 में प्रत्यक्ष कर संहिता का मसौदा जारी किया था। जिसके कुछ प्रावधानों की उद्योग जगत के साथ-साथ करदाताओं ने आलोचना की थी।
इनके निराकरण के लिए मंत्रालय ने बाद में संहिता का संशोधित प्रारूप पेश किया था। इसमें पीएफ से धन निकालने पर कर लगाने और कंपनियों से उनकी संपत्ति पर मिनिमम अल्टरनेट टैक्स वसूलने जैसे प्रस्ताव हटाए गए थे।