नई दिल्ली. देश में गुटखा, तंबाकू और पान-मसाला बेचने वाली कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट की गाज गिर सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि इन उत्पादों में सेहत के लिए नुकसानदेह पदार्थ हैं। रिपोर्ट सौंपते हुए सरकार ने यह भी बताया है कि 1997 से ही केंद्र सरकार इन उत्पादों पर पाबंदी लगाना चाहती है।
डॉ. श्रीनाथ रेड्डी की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट की प्रति ‘भास्कर’ के पास है। यह १३२क् पन्नों की है। इसमें कहा गया है, ‘विभिन्न शोधों से पुख्ता सबूत मिले हैं कि गुटखा, तंबाकू और पान-मसाला से मुंह, गले और पैन्क्रियाटिक कैंसर होने का खतरा होता है।’ रिपोर्ट शीर्ष कोर्ट को सौंप दी गई है।
रिपोर्ट में आगे लिखा है, ‘आंकड़ों से साफ है कि देश में तंबाकू नियंत्रण पर सरकार के सालाना खर्च से कहीं ज्यादा पैसा तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम में खर्च होता है। यह खर्च, तंबाकू कंपनियों द्वारा मिलने वाले राजस्व कर से 16 फीसदी ज्यादा है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोर्ट को यह भी बताया है कि उनके विभाग की एक समिति ने 26-27 नवंबर 1997 को हुई बैठक में भी तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का पक्ष लिया था।
इससे पहले, 7 दिसंबर 2010 को एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुटखा, पान मसाला और तंबाकू उत्पादन में लगी कंपनियां लोगों की सेहत खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण के लिए नुकसानदेह मानते हुए शीर्ष कोर्ट ने सभी गुटखा उत्पादों की प्लास्टिक पैकिंग पर 1 मार्च से रोक लगाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने तंबाकू उत्पादों से सेहत के नुकसान पर स्वास्थ्य मंत्रालय से एक रिपोर्ट भी मांगी थी।