CAN HE GOT ANTICIPATETRY BAIL

Querist :
Anonymous
(Querist) 24 June 2011
This query is : Resolved
PLEASE READ CAREFULLY
राजस्थान सरकार ने जनता की सुविधा के लिए समस्थ जिलो मै एक योजना शुरू की जिसका नाम शहर मै इ-मित्र और गाव मै जन-मित्र रखा
इस योजना के अंतर्गत एक ही स्थान पर सभी प्रकार की सरकारी सुविधा प्रदान करवाना था/
जिसमे बिजली,पानी,टेलिफ़ोन के बिलजमा करना और अन्य सुविधा भी प्रदान करवाना था
इस योजना की जिला स्तर पर क्रियांवती के लिए DOIT& C (Department of Information technology & communication RAJCOMP-JAIPUR ) के सहयोग से प्रत्येक जिलो मै एक सोसाइटी का गठन किया जिसका नाम इ-मित्र सोसाइटी रखा गया
इस सोसाइटी मै जिला कलक्टर को chairman , योजना की प्रशाशनिक व्यवास्था क लिए A.D.,M. को सदस्य, .तकनिकी व्यवस्था क लिए D.I.O.of N.I.C ( District Information officer of National Informatic centre) को तकनिकी अधिकारी और लेखांकन व्यवस्था के लिए जिला कोशाधीकारी को सदस्य बनाया गया
DOIT & C (Department of Information technology & communication RAJCOMP-JAIPUR ) का कार्य था 1.सॉफ्टवेर उपलभध करवाना .
2.तकनिकी सहयोग देना ,ट्रेनिंग देना और
3.व्येवास्थिथ सञ्चालन के लिए समय-समय पर तकनिकी मार्गदर्शन देना
जिला इ-मित्र सोसाइटी ने और DOIT & C ने इस योजना की किर्यन्वती के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के (p.p.p. model) अंतर्गत कुछ कंपनीयो का चयन किया इन कंपनियों का कार्य जिला स्तर पर विभ्हिन स्थानों पर कियोस्क खोल कर उनका सञ्चालन करना था और जनता को सरकरी सुविधा उपलब्ध करवाना था
अजमेर जिले में इस योजना क सञ्चालन के लिए इ-मित्र सोसाइटी ने ४ चार कंपनीयो का चुना
1.ARYA U-CLIX E-SERVICES JAIPUR
2.C.M.S. NEW DELHI.
3. R2R SEVA KOTA
4. VIRMATI SOFTWARE & TELECOMMUNICATION AHEMDABAD
इन चारो कंपनी से इ-मित्र सोसाइटी ने अलग अलग समय पर एक समान M.O.U पर हस्ताक्षर किये
5/12/2005 को एक M.O.U . हुआ जिसमे इ-मित्र सोसाइटी की तरफ से जिला कलक्टर ने हस्ताक्षर किये
राज्य सरकार की तरफ से DOIT&C के अखिल अरोरा ने हस्ताक्षर किये और
आर्य उ-क्लिक्स इ-सेर्सिवेस की तरफ से श्री अरिविंद अगरवाल ने एक M.O.U पर DIRECTOR की हेसियत से हस्ताक्षर किये
जिसमे उन्होने कंपनी का पता C-84 जनपथ लाल कोठी जयपुर बताया
अनुबंध में तीनो पक्षों ने अपनी रोल्स न रेस्पोंसिब्लिटी बतैयी और यह भी लिखा की यदी किसी बी कारन से से विवाद होता है तो उसके निस्तारण हेतु ARBITRATION CLAUSE 6.1 लिखा जो इस प्रकार है
If for any reason a breach of this M.O.U. contributes to any loss or damage to either DOIT & C, LSP or to Ajaymeru e-mitra society -ajmer then the divisional commissioner ajmer government of rajasthan will take final decision
IF FOR ANY REASON A BREACH OF THIS M.O.U CONTRIBUTES TO ANY LOSS OR DAMAGE TO EITHER DOIT&C L.S.P OR TO AJAYMERU E-MITRA SOCIETY AJMER, THN THE DIVISIONAL COMMISSIONER .AJMER GOVERNMENT OF RAJASTHAN WILL TAKE FINAL DECISION
आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरविसेस ने राजस्थान में लगभाग १० जिलो में काम लिया जिसमे थे
चुरू ,बीकानेर,जोधपुर,कोटा,श्रीमाधोपुर,भीलवाडा,सिरोही,उदैपुर, अजमेर
कंपनी ने जयपुर में इन सब जिलो में प्रोजेक्ट की किर्यन्वती एवं सफल सञ्चालन क लिए ऑफिस खोला जिसको बेक ऑफिस कहेते थे/ यहाँ से मुख्या कार्य यह होते थे
कंपनी ऑफिस से नए कियोस्क बनती थी और उनके साथ समान शर्तो पर अनुबंध करती थी
उनका डेली ऑनलाइन रिकॉर्ड रखती और उनको समस्याओ का समाधान करती थी
जिला सह-समन्यवयक को दिशा निर्देश देती थी
सभी कियोस्ख को ऑनलाइन कनेक्टिविटी प्रदान करती थी एवं उनका रख रखाव करती थी
कंपनी ने अजमेर जिले में १० कियोस्क खोले इन किय्स्क धारको से कंपनी ने 08/02/2006 को एक सामान शरतो पर अग्ग्रेमेंट किया
कंपनी ने सभी किय्स्क धारको से 1,45,000 लिए इनमे से 45,000/ नॉन रेफुन्दब्ले और 1,00,000/rs रेफुन्दब्ले (refundable) सिक्यूरिटी थी
सभी कियोस्ख होल्डर्स ढाई साल से अपना काम अनुबंध की शर्तो के अनुसार कर रहे थे
इनमे से एक कियोस्क धारक था shailendra kumar proprietor m/s versha vedio corner (vision) k-51 police line chouraha
सभी अग्ग्रेमेंट मै सामान शर्ते थी जिसमे कुछ मुख्या यह थी
daily cash deposite
franchise would handover /transfers/deposite/the cash/cheques collected of the day on or before following working day till 12 pm to the authorised bank /authorised bank collection agent . In case of holidays the dues would be transfered on next working day .In case of non deposit of amount so collected within the stipulated time ,Franchise will have to pay to AUES interest of 1% per day for the number of the days for which the depositing of amount in to the e-mitra account is delayed .If the franchise delay the deposition of the payment maximum by three days then the legal action will be initiated by AUES through the competent authority and also by district administration ajmer .
credit limit as per rules
the credit limit of the franchisee would be equivalent to the deposited amount of the guarantee amount of the guarantor Inany case the franchisee would not be allowed to exceed credit limit .The access will be denied for further transaction till the franchisee deposits/handover the cash in hand in the bank and acknowledge the same to AUES.
Daily MIS
Franchisee will provide financial statements for reconcillation purpose to AUES.
Facility for e-payment may also be made available.
The franchisee shall handover proper receipt to the bearer of the bill/demand/note/application giving relevant details.all the hard copies should be retained by the franchisee and sent to AUES computers jaipur office duly stamped with the inscription "PAID ON"/"Received.....(Date)at............)counter name)along with account of the day
the format and the frequency of the other required MIS would be as per the provision of the application software being provided through AUES.
Dispute Resolution
In the event of a dispute concerning the conclusion ,validity,interpretation,or performance of this agreement ,the parties shall make every reasonable effort to reach an amicable settlement in good faith .However filling amicable understanding between the parties ,any controversy claim.or dispute arising under of relating to this agreement, including the existence ,validity,interpretation,or performance termination or breach there of .shall be settled finally by binding arbitration in jaipur ,india under add in accordance with the provision of the Indian Arbitration and conciliation Act,1996 or any statutory modification or re- enactment there of
दिनांक 10/12/2007 को एक m.o.u.हुआ m/s arya u-clix e-services-jaipur &partner m/s shri sai infotech partner gopesh kumar sen , mahaveer marg kaiser ganj ajmer के बीच में जिसमे कंपनी ने district co-ordinator क रूप मे काम करने को कहा जिसका मुख्या काम इ-मित्र सोसाइटी , आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसस और किसोख होल्डर्स के बीच मे समन्वयक का था
इस काम को देने के लिए कंपनी ने ३ लाख रुपये लिए जिसमे १ लाख नॉन रयून्दब्ले और २ लाख रेफुन्दब्ले था और कंपनी ने commission देने का अग्ग्रेमेंट किया
इसमे भी यही लिखा की विवाद की स्तिथि मे arbitration will decide
Arbitration
Redressal of grievances will be thorough negotiations, dispute resolution shall be through sole arbitrator oppointed by ARYA U-CLIX E-SERVICES The jusrisdiction of arbitration shall be at jaipur and for all other disputes also jurisdiction shall be at jaipur .
दिनांक 30/01/2008 को अजयमेरु इ-मित्र सोसाइटी -अजमेर ने एक करालाये आदेश क्रमांक/इ-मित्र/२००७/०६ जरी किया उसमे 05/12/2005 के m.o.u.की शर्तो के उल्लंघन का आरोप लगते हुए कंपनी दुवारा जमा 15 लाख रुपए सयूक्रिटी राशी जब्त करने का आदेश दिया लेकिन बदनीयती से उसमे किसी बी प्रकार की राशी के गबन का आरोप नही लगाया और ना ही 01/01/2008 से 08/01/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया
और उसी दिन मतलब 30/01/2008 को एक पत्र कर्मंक /इ-मित्र/२००७/3889 पोलिसे अधीक्षक अजमेर को लिखा जिसमे कियोस्क-51 और आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसस -जयपुर पर गबन का स्पस्ट आरोप लगाया और 01/01/2008 से 08/01/2008के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया और f.i.r. लिखने का निवेदन किया
पत्र कर्मंक /इ-मित्र/२००७/3889 को आधार मानते हुए 23/02/2008 को f.i.r 74/2008 सिविल लाइन ठाणे मई दर्ज हुई
f.i.r. में दर्ज मुख्य बाते /
कियोस्क-51 और आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसस -जयपुर पर गबन का स्पस्ट आरोप लगाया 01/01/2008 से 08/01/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया
इ-मित्र सोसाइटी और आर्य यू-क्लिक्स के बीच एक अनुबंध 05/12/2005 को हुआ आर्य यू-क्लिक्स इ-services का ऑफिस c-84 जनपथ लाल कोठी जयपुर बताया
आर्य यू-क्लिक्स इ-services ने 8,01,241 रस का गबन किया
घटना स्थल k-51 वेर्षा वेदिओ विसिओं पोलिसे लाइन चोराहा बताया
इसमे कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिखा और न ही उसके ऑफिस महावीर मार्ग अजमेर का उल्लेख किया
08/03/2008 को 161 crpc क अंतर्गत नागरमल शर्मा कनिष्ठ लिप्लिक क बयां लिए गए /
उनके बयां की मुख्या बाते /
दिनांक 25/02/2008 को शाम को ४ बजे (वास्तव में दिनांक 25/01/2008 थी ) विद्युत् निगम क करमचारियों ने उनको अवगत कराया की पोलिसे लाइन एरिया के कुछ बिल जमा नही हुए है
इस पर उन्होने यही बात अपने अधिकारी रमेश बोहरा को बताई aur अवश्यक कर्येव्ही के लिए उनसे निवेदन किया बाद मे जो सूचनाये k-51 वेर्षा वेदिओ विसिओं पोलिसे लाइन के रिकॉर्ड से मिली उनके अनुसार 01/01/2008 से 08/01/2008 तक के बिल जमा नही थे जिनकी राशी 8,01,241 रस बात्यी
इस बयां में भी नागरमल शर्मा ने कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिया
यहाँ यह भी बता दे की नागरमल शर्मा ने 164 crpc के ठहेत दिनांक 11/03/2010 को भी अपने बयां दिए उसमे बी कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिया
08/03/2008 को सहायक कोषाधिकारी रमेश चाँद बोहरा ने 161 crpc के तेहत बयां दिए जिसमे मुख्य बाते इस तरह है /
25/02/2008 को शाम ४ बजे कनिष्ठ लिपिक नगर मल शर्मा ने घटना की जानकारी दी तो उन्होने तत्काल तकनिकी कर्मचारी योगेश हेडा और आर्य you -क्लिक्स की तरफ से काम संभाल रहे संतोष को सम्भंदित कियोस्क पर भेजा / उन्होने वहा पर कियोस्क के कंप्यूटर से को आंकड़े निकाले उनके अनुसार 01/01/2008 से 08/01/2008 के बीच कुल 7,74,243 रस के जमा बिल की राशी इ-मित्र सोसाइटी के खाते मई जमा नही करवाई / इस अधर पर 30/01/2008 को उन्होने पोलिसे अधीक्षक को पत्र लिखा जिसमे कंपनी की तरफ से 08,01,241rs. का गबन का कंपनी पर आरूप लगाया
यहाँ पर जाच अधिकारी ने दोनों बयानों में तारिख गलत लिख रखी है घटना की जानकारी २५ फ़रवरी को न हो कर २५ जानवर को हुई थी
रमेश भोहरा ने यहाँ पर कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिखा
यहाँ पर दोनों बयानों से स्पस्ट है की 01/01/2008 से 08/01/2008 को हुई घटना की जानकारी २५ जनवरी को अधिकारिक रूप से मिली
उन्होने यह भी लिखवाया की कंपनी की और से काम संभाल रहे संतोष को बी उन्होने मौके पर भेजा साथ में तकनिकी कर्मचारी योगेश हेडा को भी भेजा
संतोष और योगेश हेडा के बयान नही लिए
17/04/2008 को 161 crpc के थेट k-51 shailendra kumar proprietor m/s versha vedio corner (vision) k-51 police line chouraha के बयां लिए गए
1,45,000rs जमा करा कर कंपनी से अग्ग्रेमेंट होना बताया
मोहित चौदरी को director और कंपनी का हेड ऑफिस जयपुर बताया
२००६ से काम कर रहा था और प्रतिदिन जमा राशी को कंपनी दुवारा नियुक्त district coordinator को जमा करना बताया यह भी लिखा की 01/01/2008 से 08/01/2008 तक जमा राशी उसने गोपेश kumar sen को दी और उसकी एवज म रसीद प्राप्त की
२४/०१/२००८ को रसीद प्राप्त होना बताया जिसमे 7,74,243 रुपये जमा करवाना बताया
घटना की जानकारी उपभोक्ताओ दुवारा मिलना बताया
03/06/2008 को जिला कल्लेक्टर के १६१ 161 crpc के बयां लिए जो हु बहु f.i.र की नक़ल है
17/05/2008 को गोपेश कुमार सेन द्वारा अग्रिम जमानत प्राथना पत्र प्रस्थुथ किया जिसको न्यायेधीश ने 05/06/2008 को निरस्त कर दिया
29/09/2008 को सिविल लाइन थाना पोलिसे ने धरा 299 के अंतर्गत चलन पेश किया और 5/12/2008 को न्यायालय ने प्रसंज्ञान ले कर विचार शुरू किया
गोपेश कुमार सेन ने एक प्रसंज्ञान आदेश के खिलाफ crim.misc pet. no 416/2011 के रूप में चुनोती दी जिस पर मनानिये उच्च न्यायालय जयपुर पीठ ने 28/04/2008 को यह स्वतंत्रता प्रदान करते हुए यह petition निरस्त की की प्रार्थी दंड प्रक्रिया सहितअ 438 के थेट प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो अतियाधिक विलम्ब के बिंदु को गौर नही किया जाये (see f1 ,f2)
MY POINT ,REASONS ,ARGUMENTS,QUERRIES
दिनांक 30/01/2008 को अजयमेरु इ-मित्र सोसाइटी -अजमेर ने एक करालाये आदेश क्रमांक/इ-मित्र/2007/06 जरी किया उसमे 05/12/2008 के m.o.u.की शर्तो के उल्लंघन का आरोप लगते हुए कंपनी दुवारा जमा 15 लाख रुपए सयूक्रिटी राशी जब्त करने का आदेश दिया लेकिन बदनीयती से उसमे किसी बी प्रकार की राशी के गबन का आरोप नही लगाया और ना ही 01/01/2008से 08/10/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया (देखे page1 )
और उसी दिन मतलब 30/01/2008 को एक पत्र कर्मंक /इ-मित्र/2007/3889 पोलिसे अधीक्षक अजमेर को लिखा जिसमे कियोस्क-51 और आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसस -जयपुर पर गबन का स्पस्ट आरोप लगाया और01/01/2008 से 08/01/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया और f.i.r. लिखने का निवेदन किया (देखे पेज २-)
जबकि इ-मित्र सोसाइटी को पूरी घटना की जानकारी 25 जनवरी को मालूम चल गयी थी
इ-मित्र सोसाइटी ने राशी जब्त करते समय तो अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन बता दिया और अनुबंध की शर्त संख्या ४.१.९ और धरा संख्या ४.४.१.९ का उल्लेख किया किन्तु
इ-मित्र सोसाइटी ने इसी अनुबंध की धरा संख्या ६.१ का पालन नही किया जिसमे स्पस्ट लिखा है की (see page AE- 1 TO AE-15)
ARBITRATION CLAUSE 6.1 लिखा जो इस प्रकार है (SEE PAGE AE-14)
If for any reason a breach of this M.O.U. contributes to any loss or damage to either DOIT & C, LSP or to Ajaymeru e-mitra society -ajmer then the divisional commissioner ajmer government of rajasthan will take final decision
IF FOR ANY REASON A BREACH OF THIS M.O.U CONTRIBUTES TO ANY LOSS OR DAMAGE TO EITHER DOIT&C L.S.P OR TO AJAYMERU E-MITRA SOCIETY AJMER, THN THE DIVISIONAL COMMISSIONER .AJMER GOVERNMENT OF RAJASTHAN WILL TAKE FINAL DECISION
इसके अनुसार यदि इ-मित्र सोसाइटी को यदि किसी भी प्रकार की शिकायत थी तो उसको पहेले divisional commisioner के यहाँ appeal करनी थी लेकिन उसने अनुबंध की शतो का उल्लंघन करते हुए f.i.r दर्ज करा दी
२३ फ़रवरी २००८ को f .i.r. दर्ज की गयी जिसमे (see page 3-4)
05/दिसम्बर/2005 को हुए m.o.u. का हवाला दिया गया /
इ-मित्र सोसाइटी और आर्य यू-क्लिक्स के बीच एक अनुबंध 5/12/2005 को हुआ आर्य यू-क्लिक्स इ-services का ऑफिस c-84 जनपथ लाल कोठी जयपुर बताया
कियोस्क-51 और आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसस -जयपुर पर गबन का स्पस्ट आरोप लगाया और 1/01/2008 से 08/01/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया
आर्य यू-क्लिक्स इ-services ने 8,01,241 rs. का गबन किया
घटना स्थल क-५१ वेर्षा विडिओ विसन पोलिसे लाइन चोराहा बताया
इसमे कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिखा और न ही उसके ऑफिस महावीर मार्ग अजमेर का उल्लेख किया
f.i.r. में दो अरूपी बनाये गए कियोस्क संख्या k-51 शैलेन्द्र सत्र्वाला और आर्य यू-क्लिक्स के निदेशक अरविन्द अगरवाल
जाच अधिकारी सूरज मॉल शर्मा को नियुक्त किया गया/ उनोहोने ४ गवाहों के बयान लिए
१. नागरमल शर्मा कनिस्थ लिपिक अजमेर (देखे पेज 5 )
२.रमेश चाँद बोहरा सहायक कोषाधिकारी अजमेर (देखे पेज 6 )
३. जिला कोल्लेक्टर अजमेर(देखे पेज 7 )
४. शैलेन्द्र सत्रवाला मालिक के-५१ वेष विडिओ विसन पोलिसे लाइन चोराहा अजमेर(पेज 8 )
गवाह संख्या १,२,३, सरकारी कर्मचारी है और इन्होने अपने बयानों मे कही भी गोपेश कुमार सेन का नाम नही लिया
गवाह संख्या १,२,३ ने १/०१/2008 से 8/०१/2008 के बीच की घटना और गबन का उल्लेख किया और घटना स्थल K-51 पोलिसे लाइन चौराहा बताया
गवाहा संख्या ३ के बयान f.i.r की हु -बहु नक़ल है
गवाह संख्या १,२ ने बताया की उनको घटना की अध्कारिक जानकारी २५ जनवरी 2008 को मिली और उसी दिन गवाह संख्या २ ने इ-मित्र के तकनिकी कर्मचारी योगेश हेडा और कंपनी की तरफ से काम संभल रहे संतोष को घटना पर भेजा
गवाहा संख्या २ के अनुसार शाम करीब ४ बजे योएश हेडा और संतोष k -51 पोलिसे लाइन चोराहा गए और उसके कंप्यूटर से आंकड़े निकाल कर लाये जिससे से पता चला की 01/01/2008 SE 08/01/2008 के बीच की राशी का गबन हुआ है
गवाहा संख्या २ ने जाच अधिकारी को 01/01/2008 SE 08/01/2008 के बीच का वेह रिकॉर्ड दिया जिसको तकनिकी भाषा में (r.c.r reconciliation report ) कहेते है
लगभग ४० पेज का यह रिकॉर्ड है जिसके हर पेज पर इ-मित्र सोसाइटी की तरफ से योगेश हेडा और कंपनी की तरफ से संतोष के हस्ताक्षर है
और साथ ही कंपनी और इ-मित्र सोसाइटी के बीच हुआ अनुबंध की भी फोटो कॉपी दी
गवाहा संख्या ४ जो की f.i.र मई मुख्या आरूपी था
गवाहा संख्या ४ जो की f.i.र मई मुख्या आरूपी था ने अपने बयान में बताया की कंपनी से उसका अनुबंध 08/02/2008 को हुआ और अपनी अनुबंध की कॉपी भी दी
उसने बताया की 01/01/2008 से 25/01/2008 के बीच की जमा राशी 7,74,243 RS. कंपनी के district co-ordinator gopesh kumar sen को दिए और 24/01/2008 को एक रसीद प्राप्त की / रसीद की कॉपी उसने जाच अधिकारी को दी(see page p9-p10)
उसको घटना की जानकारी बिल उपभोक्ताओ द्वारा प्राप्त हुई
जाच अधिकारी ने जयपुर कंपनी ऑफिस मे फोन कर के जानकारी प्राप्त की तो कंपनी ने डाक द्वारा एक पत्र जाच अधिकारी को भेजा जिसमे (see page p2-p3)
शैलेंदर , गोपेश , और संतोष को अरूपी बताया घटना का ज़िम्मेद्र बताया और यह भी बताया की सोसाइटी ने तो हमसे १५ लाख रूपये जब्त कर लिए अब हमसे किसी भी प्रकार के लेना देना बाकि नही रहा
letter simple paper par tha koi letter pad use nhi kiya gaya
पत्र हाथ लिखित था और ऑस पर कंपनी के अन्य दिरेक्टोर मोहित चौदरी के हस्ताक्षर थे
कंपनी ने कुछ दस्तावेज भी साथ भे भेजे जैसा की जाच अधिकारी ने बताया
फिर जाच अधिकारी ने कुछ दस्तवेज इ-मित्र सोसाइटी से और प्राप्त किये /
और जब गोपेश कुमार सेन ने अपनी अग्रिम जमानत प्राथना पत्र प्रस्तुत किया तो जमानत को निरस्त करने का आग्रह किया जिसकी एवज मे सबूत पेश किये
और 17/05/2008 को प्रस्तुत जमानत पत्र 5/6/2008 को निरस्त कर दिया गया कारन बताया की गहेन जाच की आवश्यकता है और
और 17/05/2008 को प्रस्तुत जमानत पत्र 5/6/2008 को निरस्त कर दिया गया कारन बताया की गहेन जाच की आवश्यकता है और पैसो की बरामदगी करनी है (see page BD1 -BD4)
इसके बाद पोलिसे ने नतीजा रिपोर्ट दिनांक 29/09/2008 को प्रस्तुत की उसमे दंड प्रक्रिया सहिंता 299 की कार्यवाही के आदेश प्राप्त किये फिर 5/12/2008 को न्यायालय ने प्रन्स्ज्ञान लिए और विचार शुरू किया( SEE PAGE page9 to page 11)
वास्तव ने जाच अधिकारी ने शुरू से ही कंपनी और कियोस्क धारक को बचाने के लिए पूरी जाच को गोपेश कुमार की तरफ घुमाने की कोशिश की
जाच अधिकारी ने इन फेलुओ(POINTS) की जाच नही की
१.f.i.r दो लोगो के खिलाफ थी जिसमे मुख्या अरूपी को गवाह बना लिया और दुसरे अरूपी से पूछटाच करने की जगह केवल फ़ोन पर जानकारी ले ली गयी और वहा से प्राप्त पत्र को आधार मन कर गोपेश कुमार सेन के खिलाफ कार्यवाही कर दी
गवाह संख्या ४ जो की F.I.R म मुलजिम था ने अपने बयानों म कही भी इस बात का उल्लेख नही किया की उसके यहाँ पर 25/01/2008 को कोई आ कर कंप्यूटर से सूचनाये निकल ले कर गया
उसने अपने बयानों म घटना की जानकारी उप्प्भोक्ताओ से मिलना बताया
गवाहा संख्या ४ ने जाच अधिकारी को अपना और कंपनी के बीच हुआ अनुबंधि की कॉपी दी थी जिसमे साफ़ लिखा था की (see page k51-4,k51-5,k51-7)
daily cash deposite
franchise would handover /transfers/deposite/the cash/cheques collected of the day on or before following working day till 12 pm to the authorised bank /authorised bank collection agent . In case of holidays the dues would be transfered on next working day .In case of non deposit of amount so collected within the stipulated time ,Franchise will have to pay to AUES interest of 1% per day for the number of the days for which the depositing of amount in to the e-mitra account is delayed .If the franchise delay the deposition of the payment maximum by three days then the legal action will be initiated by AUES through the competent authority and also by district administration ajmer .
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the credit limit of the franchisee would be equivalent to the deposited amount of the guarantee amount of the guarantor Inany case the franchisee would not be allowed to exceed credit limit .The access will be denied for further transaction till the franchisee deposits/handover the cash in hand in the bank and acknowledge the same to AUES.
Daily MIS
Franchisee will provide financial statements for reconcillation purpose to AUES.
Facility for e-payment may also be made available.
The franchisee shall handover proper receipt to the bearer of the bill/demand/note/application giving relevant details.all the hard copies should be retained by the franchisee and sent to AUES computers jaipur office duly stamped with the inscription "PAID ON"/"Received.....(Date)at............)counter name)along with account of the day
the format and the frequency of the other required MIS would be as per the provision of the application software being provided through AUES.
Dispute Resolution
In the event of a dispute concerning the conclusion ,validity,interpretation,or performance of this agreement ,the parties shall make every reasonable effort to reach an amicable settlement in good faith .However filling amicable understanding between the parties ,any controversy claim.or dispute arising under of relating to this agreement, including the existence ,validity,interpretation,or performance termination or breach there of .shall be settled finally by binding arbitration in jaipur ,india under add in accordance with the provision of the Indian Arbitration and conciliation Act,1996 or any statutory modification or re- enactment there of
जबकि जो रसीद गवाह संख्या ४ ने जाच अधिकारी को दी उसमे एक साथ पैसा जमा करना बताया है वो भी 01/01/2008 से 098/01/2008 का पैसा 24/01/2008 को जाच अधिकारी ने उसको उसको अनुबंध की शर्तो का दोषी नही माना यह भी नही पुछा की जब पहेले भी इ-मित्र के बैंक खाते म पैसा जमा करते थे तो फिर अबकी बार पैसा किस हेसियत से सह समन्य्वायक को दिया
वास्तव मे सभी कियोस्क धारक डेली कैश जमा करा रहे थे तो गवाह संख्या ४ ने इतनी दिन पैसा अपने पास कैसे रखा लिया
जब सारे कियोस्ख धारक डेली कैश इ-मित्र के बैंक खाते मे(s.b.b.j a/c no 30186666236) जमा करते थे तो फिर क-५१ ने २४ दिन बाद सह समन्वयक को क्यों पैसा दिया
उसने 24/01/2008 को तो पैसा जमा करवाया और 25/01/2008 को उसकी दुकान पर इ-मित्र ने जाच कर ली
जब इ-मित्र ने उसके यहाँ 25/01/2008 को जाच कर के सूचनाये निकली तो उसके बाद उसने इ-मित्र को अपने पैसा जमा करवाने बाबत अवगत क्यों नही करवाया
फिर वापस से उसने 28/01/2008 को सह समन्वयक को बाकि पैसा जमापैसा जमा करवाना बताया
जो सुचने उसके कंप्यूटर से निकलना बताया जा रहा है और जो रसीद उसके ने जाच अधिकारी को दी उसमे बिल की संख्या और राशी का अंतर आ रहा है
उसने जो रसीद दी है वो रसीद न हो कर लैटर पैड है अगर उसको रसीद दी जाती तो वो रसीद के स्वरुप मे होनी थी
यहाँ कंप्यूटर और रिकॉर्ड भी जब्त नही किया
कंपनी ने जो पत्र अपनी तरफ से भेजा था उसमे भी क-५१ को दोषी बताया गया था लेकिन
सब कुछ होने पर भी जाच अधिकारी ने क-५१ को मुलजिम नही माना
वास्तव मे क-५१ का मालिक उसी थाना क्ष्तेरा(area) का पार्षद भी था तो उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया उस टाइम मे भारतीय जनता पार्टी का पार्षद था और भारतीय जनता पार्टी की ही सत्ता थी अजमेर नगर निगम मे और राज्ये सर्कार मे
जाच अधिकारी ने क-५१ को भविष्य मे लाभ पहुचने की नियत से
यहाँ कंप्यूटर और रिकॉर्ड भी जब्त नही किया
क-५१ के मालिक ने अपाने प्रभाव का इस्तेमाल कर के जाच घुमवा दी
f.i.r. स्पस्ट रूप से कंपनी को अरूपी बनाया गया था और कंपनी का पता भी लिखा रखा था लेकिन जाच अधिकारी कभी भी कंपनी के director arvind agarwal से पूछताछ नही की और केवल फोन पर बातचीत कर के कंपनी से दस्तावेज भेजने को कहा
पूरे राजस्थान के काम भी डेली मोनिटरिंग कंपनी के जयपुर ऑफिस से होती थी और वह से प्राप्त दिशा निर्देशों से ही सह समन्वयक काम करता था
जाच अधिकारी ने जयपुर ऑफिस जा कर वह से रिकॉर्ड और कंप्यूटर जब्त नही किये
पूरा काम ऑनलाइन था कंपनी को डेली के काम की डेली जानकारी रहती थी तो भी जाच अधिकार कभी भी जयपुर नही गया न ही कोई रिकॉर्ड वह से ले कर आया
यदि जाच अधिकारी जयपुर जाता तो वह पर कंपनी के दुसरे मामले भी सामने आते
कंपनी पर राजस्थान के कई जिलो से कियोस्क धारक और इ-मित्र सोसाइटी ने केस कर रखा है
अरविन्द अगरवाल एवं कंपनी के अन्य निदेशको पर बहुत सरे मुक़दमे दर्ज है
जो पत्र जाच अधिकारी जयपुर कार्यालय से डाक द्वारा प्राप्त होना बता रहा है वो कई मायनो म संधिग्ध है
१. लैटर पद पर न हो कर सदा पेपर पर हाथ से लिखा गया है
२.पत्र में यह भी उल्लेख किया है की उनकी जाच अधिकारी से फोन पर हुई है इसलिए वो पत्र भेज रहे है
३.पत्र मई मोहित चौध्यरा के हस्ताक्षर है जो की उसके मूल हस्तःक्षर से बिलकुल भी नही मिलते है
४. मोहित चौधरी पर बहुत से मुकदमे चल रहे है
५. अनुबंध पर अरविन्द अगरवाल ने हस्ताक्षर किये थे लेकिन जाच अधिकारी ने उनसे कोई पूछ टाच नही की
६. जाच अधिकारी ने कंपनी को न तो मुलजिम बनाया और न ही गवाह
जाच अधिकारी के पास अनुमंध की कॉपी उप्प्लाब्ध थी
जो मुकदमे कंपनी पर दर्ज है उनमे से कुछ यह है
jodhpur high court
No case no. year petitioner & respondant advocate petitioner
1 6303 2007 arya u-clix e-services vinay shrivastav
2 7443 2007 arya u-clix e-services vinay shrivastav
3 5410 2007 arya u-clix e-services vinay shrivastav
4 2358 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
5 3097 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
6 3099 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
7 4237 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
8 6625 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
9 529 2008 arya u-clix e-services vinay shrivastav
udaipur district thana bhupalpura f.i.r no 262/06 date 6/08/2006
section 406,420,120B
shikayat karta rajesh suwalka s/0 shri bhagwati suwalka age 33 C.A add: 7/292 goverdhan villas udaipur
virudh
muljim
1. arvind agarwal 2. anurag agarwal 3. praveen choudhry 4. mohit choudhry 5. sandeep sharma .6.chandra shekhar dixit
udaipur district thana amba mata 279/06 date 23/06/06
section ipc 420, 406
shikayat karta vijay kumar s/o shri anant ram kumawat age 28 dagliyo ki magri bhuwana amba mata udaipur
virudh muljim
1arvind agarwal , 2.anurag agarwal 3.mohit choudhry 4.praveen choudhry 5.manish choudhry 6. chandra shekhar dixit
jaipur city (south) thana jyoti nagar f.i.r no 185/2010 date 07/08/2010
section 406/409/420/467/468/471/120B ipc
shikayat karta jitendra pal sing s/o shri attar singh yadav (arya u-clix e-services)
virudh muljim
1.mohit choudhry 2. praveen choudhry &others
jodhpur city thana sardarsher 08/12/2010 f.i.r no 304/2010
section 403/406/409/420/120B
shikayat karta jagdish morya s/o jagat ram (arya u-clix e-services)
virudh muljim
mohit choudhry ,manisha choudhry & others
सबसे महेत्पूर्ण तथ्य यह है की अब परिस्थिति बदल गयी है मुलजिम के विरुद्ध चाललं पेश किया जा चूका है /कंपनी के जिस निदेशक का पत्र जाच अधिकारी डाक द्वारा मिलना बता रहे है उस निदेशक के विरुद्ध कंपनी ने स्वयं ने कई संगीन अरूप लगाये है और उस पर २ मुकदमे दर्ज किया है ऐसी बातो से साफ़ मालूम चलता है की कंपनी निदेशक ने जो पत्र भेजा था उसका महेतवा आज शून्य हो गया है
इन मुकदमो मे कंपनी ने अरूप लगाया है की मोहित चौधरी और दुसरे लोगो ने फर्जी बैंक खता खुलवा कर कियोस्ख धारख और इ-मित्र सोसाइटी का पैसा हड़प लिया /और भी दुसरे संगीन अरूप लगाये है
जाच अधिकारी जयपुर गया नही वह का रिकॉर्ड जब्त नही किया कंप्यूटर डाटा जब्त नही किया उसने कंपनी को बचाने की पूरी कोशिश करी
जब गवाह संख्या दो ने अपने बयानों मे योगेश हेडा और संतोष का नाम लिया तो भी जाच अधिकारी ने दोनों से पूछताछ नही की /
गवाह संख्या ने यह भी कहा की जो रिकॉर्ड उसने दिया है वह क-५१ पोलिसे लाइन चौराहा के कंप्यूटर से निकलवाया है और यह भी कहा की इस रिकॉर्ड (सूचनाये) निकालने के लिए उसने इ-मित्र के तकनिकी कर्मचारी योगेश हेडा और कंपनी की तरफ से काम संभल रहे संतोष को घटना स्थल पर भेजा २५ जनवरी शाम को ४ बजे बाद
जब गवाह संख्या दो ने अपने बयानों मे योगेश हेडा और संतोष का नाम लिया तो भी जाच अधिकारी ने दोनों से पूछताछ नही की /
जो रिकॉर्ड उसने जाच अधिकारी को उप्प्लाब्ध करवाया है वो ४० पेज का कंप्यूटर प्रिंटेड डाटा है और उस पर योगेश हेडा और संतोष के हस्ताक्षर है /
इस रिकॉर्ड पर शैलेन्द्र के हस्ताक्षर नही है जबकि उसकी कंप्यूटर से रिकॉर्ड निकाले जाने की बात की जा रही /वास्तविक तथ्य यह भी है की शैलेन्द्र जो की भारतीय जनता पार्टी का नेता भी था २५ जनवरी को मुख्यमंत्री की अगवानी कार्यक्रम मे गया हुआ था और उस दिन उसने अपनी दुकान का अवकाश रख रखा था और इ-मित्र सोसाइटी मे भी उस दिन के रिकॉर्ड के अनुसार उसने कोई बिल जमा नही किये थे fir उसके यहाँ से सूचनाये निकल कर लाये ऐसा कैसे संभव है
जाच अधिकारी ने इन हस्ताक्षरका सत्यापन भी नही करवाया और न ही इस कंप्यूटर रिकॉर्ड की सत्येता की जाच की वास्तव म जो रिकॉर्ड जाच अधिकारी के पास उप्प्लाब्धा है वो तकनिकी रूप से तीन जगह से निकला जा सकता है
१. इ-मित्र के डाटा सर्वर से
२.जयपुर कंपनी ऑफिस के डाटा सर्वर से
.३. k-51 पोलिसे लाइन चौराहा से /
सतोष भी कंपनी का सह समन्य्वायक था और कंपनी की तरफ से काम संभल रहा था (see page ss1 to ss6)
संतोष ने समय समय पर बटोर सह समन्य्वायक इ-मित्र को पत्र लिखे है और वो श्री साईं इन्फोतेच के बराबर के हिस्सेदार था /रिकॉर्ड पर किये गए संतोष के हस्ताक्षर और उसके मूल हस्ताक्षर मे काफी अंतर साफ़ दिख रहा है
संतोष को पूरे प्रकरण की जानकारी थी लेकिन जाच अधिकारी ने उसको न तो गवाह बनाया और न ही मुलजिम
जाच अधिकारी ने कंप्यूटर और रिकॉर्ड के-५१ के ऑफिस से जब्त भी नही किये
गवाहा संख्या ३ जो की शिकायत करता भी को अब तक १३ बार नोतिसे जरी कर के गवाही के लिए बुलाया जा चूका है
लेकिन उसने अभी तक अपने बयां नही दिए
जब गोपेश कुमार सेन ने अपनी अग्रिम ज़मानत प्राथना पत्र दिया था तो जाच अधिकारी ने निम्न सबूत पेश कर के ज़मानत का विरोध किया था
जब गोपेश कुमार सेन ने अपनी अग्रिम ज़मानत प्राथना पत्र दिया था तो जाच अधिकारी ने निम्न सबूत पेश कर के ज़मानत का विरोध किया था (see p1 to p11)
१. २ रसीद जो की क-५१ को गोपेश कुमार सेन ने लैटर पद पर लिख कर दी थी जिसमे पैसा नकद लेना स्वीकार किया था (see
२. अनादरित २ चेक जो इ-मित्र सोसाइटी को दिए गए थे
३. कंपनी द्वारा भेजा गया पत्र जिसमे गोपेश संतोष और शैलेन्द्र को घटना का ज़िम्मेदार बताया था
४.गोपेश और अन्य कियोस्ख धारखो द्वारा इ-मित्र सोसाइटी को लिखा गया पत्र जिसमे काम को जरी रखने की अपील की गयी थी और galti को स्वीकार किया गया था
५. अखबार की कत्तिंग जिसमे इ-मित्र की राशी के गबन का अरूप लगाया था
सबूत संख्या १ एवं ३ की सफाई मे पहेले ही लिखा जा चूका है
सबूत संख्या ३ के बारे मे इतना ही तर्क दिया जा सकता है की इन चेको का गबन की राशी से कोई समभंद नही है क्योकि चेको मे लिखी राशी और गबन की राशी अलग अलग है
इ-मित्र सोसाइटी को गोपेश से चेक लेने का वैधानिक अधिकार ही नही था क्योकि इ-मित्र सोसाइटी केवल आर्य उ-क्लिक्स इ-सर्विसेस के नाम का चेक स्वीकार कर सकती थी
इ-मित्र सोसाइटी ने आज तक इन चेको के खिलाफ १३८ का मुकदमा दर्ज नही करवाया है
इ-मित्र सोसाइटी commission आदि का भुगतान केवल आर्य यू-क्लिक्स को करती थी आर्य यू-क्लिक्स कियोस्ख और गोपेश कुमार को अपने खाते मे से कमिसन दिया करती थी
सबूत संख्या ४ मे k-51 और संतोष के हस्ताक्षर नही है बाकि अजमेर जिले के सभी कियोस्ख धारखो ने मिल कर हस्ताक्षर कर के यह पत्र लिखा था जिसमे कर्मचारी मतलब क-५१ को दोषी बताया था और यही निवेदन किया था की एक जगह हुई घटना के लिए सब कियोस्ख को पीड़ा भुगतनी पद रही इसलिए हमारा काम वापस शुरू किया जाये लेकिन क्योकि अनुबंद इ-मित्र सोसाइटी और आर्य यू-क्लिक्स इ-सर्विसेस के बीच हुआ था इसलिए इ-मित्र सोसाइटी ने सभी कियोस्ख धारखो का काम बंद कर दिया था
जाच अधिकारी के पास इ-मित्र सोसाइटी और आर्य यू-क्लिक्स इ-सेरिविसेस के बीच हुआ अनुबंध पत्र था जिसमे तीसरा पक्षकार DOIT & C भी था
चुकी पूरा मामला ऑनलाइन टेक्नोलोगी से संभंधित था और जिस तकनीक पर काम किया जा रहा था उसका सोफ्त्वायेर (SOFTWARE) DOIT & C ने उप्प्लाब्धा करवाया था और उसकी देख रेख की ज़िम्मेदारी उसकी थी इस काम के लिए वो income me से १०% हिस्सा लेता था फिर भी जाच अधिकारी ने इस मामले की सच्चाई जानने के लिए कभी भी इस पक्षकार की राइ नही ली
न ही उसको गवाह बने न ही कोई बयां लिए
इ-मित्र सोसिईटी का गठन सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत किया गया था और जो कर्मचारी इसमे लगाये गए थे वो अपनी तनख्वाह के अलावा अतिरक्त मानदेय प्राप्त करते थे सोसाइटी भी १०% हिस्सा लेती थी और अनुबंध की शर्तो में विवाद निस्तारण हेतु अर्बित्रटर का साफ़ लिखा था फिर भी सिविल नेचर के मुक़दमे को किरिम्नल नेचर का बना दिया
कंपनी का इसी तरह का विवाद जब बीकानेर इ-मित्र सोसाइटी के साथ हुआ तो high court कोर्ट ने दोनों पक्षों को मामला DIVISIONAL COMMISSIONAR के यहाँ सुलझाने का आदेश दिया और आज भी पूरा मामला सम्भंगिये आयुक्त के यहाँ सुनवाई के लिए चल रहा है
जब कंपनी ने कियोस्क होल्डर्स को सिक्यूरिटी राशी और कमिसन नही दिया तो एक वाद सभी क्योस्ख होल्डर्स ने अदालत में दायर किया जिस पर न्यायलय ने अपना विवाद निपटारा मध्यस्था के माध्यम से करने को कहा और आज पूरा मामला मध्यस्थ एवं सुलह अधिनियम १९९६ के अंतर्गत जयपुर मे मध्यस्था अधिकारी श्री मान हजारी लाल शर्मा के पास विचाराधीन है कंपनी ने अभी तक अपनी जब्त राशी प्राप्त कर्नेरी की कोशिश नही की
कंपनी के खिलाफ जब सभी कियोस्क धारको ने मुकदमन दर्ज किया तो उनको अर्बित्रटर के माध्यम से निपटारा करने को बोला
गोपेश कुमार सेन पुत्र स्वर्गीय सोहन लाल सेन उम्र ३३ वर्ष निवासी अजमेर /गोपेश कुमार सेन जो की अजमेर मे सरकारी ठेके लिया करता था ने जब यह योजना शुरू हुई तो कंपनी को ३ लाख रस जमा करा कर सह-समन्वयक के तोर पर काम शुरू किया और इस काम मे संतोष को बराबर का पार्टनर बनाया और उसके साथ अलग से अनुबंध भी किया दोनों मिल कर इस योजना को चला रहे थे लेकिन जब यह घटना हुई तब इस को सुलझाने की कोशिश की गयी लेकिन सफलता नही मिली
१७ फ़रवरी २००८ को गोपेश की छोटी बहन के लडकी हुई और १८ फ़रवरी को बहन निधन हो गया जिसकी शादी जयपुर मे की गयी थी और १८ फ़रवरी को लडकी की परवरिश की जिम्मेदारी गोपेश पर आ गयी इस तनाव पूर्ण परिस्थितयो मे सभी कियोस्क होल्डर मामले को सुलझाने का दबाव बना रहे थे लेकिन कंपनी और सर्कार बिलकुल भी सहयोग नही दे रही थी फ़िर इसी बीच अप्रैल २००८ में छोटे भाई ने प्रेम विवहा कर लिया और uski छोटी पत्नी ने घर मे आते ही सबको झूटे मुकदमो मे फ़साने की धमकी दे दी घर का महूल तनाव पूर्ण हो गया मई २००८ मे अग्रिम जमानत निरस्त हो गयी और इन ४ महीनो मे व्यापार मे ध्यान नही देने के कारन बहुत नुक्सान हो गया और सभी तरफ से परेशानी आ गयी जिसमे किसी ने साथ नही दिया और उधर पोलिसे सारा जुर्म कबूल करने का दबाव बनाने लग गयी मजबूर हो कर अगस्त २००८ मे घर छोडना पड़ा पोलिसे ने मफरूरी मे चालान पेश कर दिया और गोपेश कुमार सेन को अकेला मुजरिम बना दिया बाद मे अदालत ने बार बार पेश नही हनी पर स्तान्डिंग वार्रांत (standing warrant) जरी कर दिया २ साल बाद वापस कोशिश की गयी और उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जीको निरस्त कर दिया गया
अभी गोपेश कुमार सेन को समझ मे नही आ रहा है क्या निर्णय लिया जाये
कृपया बताये की क्या किया जाये
१. क्या मुजरिम की अग्रिम जमानत प्राथना स्वीकार करने की संभावना है
२. क्या मुजरिम अगर आत्मा समर्पण करे तो उसी दिन उसको ज़मानत मिलने की संभावना है
विशेष appeal यह है की आर्थिक रूप से टूटे हुए इस पीड़ित को कानूनी सलाह दे
इ-मेल ssonline.jaipur@gmail.com
Sudhir Kumar, Advocate
(Expert) 12 August 2012
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