नई दिल्ली.अवैध संबंधों को लेकर पति को तो सजा दी जा सकती है, लेकिन उस महिला को सजा नहीं दी जा सकती, जिससे उसका अवैध रिश्ता है। भले ही उसने अपराध के लिए उकसाया ही क्यों न हो।
जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस आरएम लोढा की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कल्याणी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश देते हुए यह बात कही। एक अन्य महिला शैलजा ने आरोप लगाया था कि उसके पति के कल्याणी से अवैध संबंध है।
कल्याणी ने अपने खिलाफ पुलिस में धारा 497 (व्यभिचार) और 341 (गलत तरीके से नियंत्रण) के तहत दर्ज प्रकरण को चुनौती दी थी। आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। इस वजह से उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 497 की व्याख्या की,यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ उसके पति की अनुमति के बिना शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता। यह व्यभिचार की श्रेणी में आता है। इसके तहत पांच वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।–
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सह-अपराधी या प्रेरक होते हुए भी पत्नी को सजा नहीं दी जा सकती। इस प्रावधान की कई मंचों से आलोचना होती रही है। इससे विवाहित पत्नी को उसके पति की संपत्ति के रूप में देखा जाता है। लेकिन कानून के मुताबिक इस धारा के तहत सिर्फ पुरुषों को ही व्यभिचार के लिए सजा दी जा सकती है।